chand ka anchal
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सुना था तलवार से कलम का जोर बड़ा है।
अब डर लगता है लिखने में, कोई बन्दुक लेके तो नहीं खड़ा है।
फटने को हुआ जा रहा है ये पन्ना अख़बार का,
हर कोने में इसके बस खून पड़ा है।
कुछ पन्नो से चीखे सुनाई देती है,
बड़ी बड़ी इमारते दिखती है, खो रही खेती है।
सुना सुना सा पड़ा है हर पन्ना यहाँ।
कुछ करने की किसी को तमन्ना कहाँ।
इस राह में बस ये डर नाम का शब्द अड़ा है।
सुना तो यही था की तलवार से कलम का जोर बड़ा है।
written by RAHUL UNIYAL
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