chand ka anchal
- 23 Posts
- 7 Comments
इस ठण्ड की सुबह लगता है की कोई आवाज लगाता है।
ये हवा का झोका अक्सर छेड़ जाता है,
इन आजाद उड़ रहे पंछियो को देख फिर कुछ याद आता है।
वो खिलोनो की भीड़ में खोई निगाहे,
वो दादी की कहानी और दादा की बहे,
कभी बैठते है अकेले तो ये आंसू छलक जाता है,
फिर कुछ याद आता है।
वो बारीश की बूंदो से लगता था दर,
वो मिटटी का अपना छोटा सा घर,
वो बुलबुल का गीत फिर से बुलाता है,
फिर कुछ याद आता है।
written by- RAHUL UNIYAL
Read Comments