chand ka anchal
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चुरा कर नजरे कुछ देर टकरारो से,
बेखौफ हो कर रनझीसो और दरारों से,
कुछ वक्त इन खामोशियो से भी ले ले,
चलो मिलकर लुक्का चुप्पी खेले.
इन रुसवाइयों के पर्दो में कही छुप जायेगे,
इसी बहाने एक दूजे को ढूंढने तो आयेगे,
उस गुजरे हुए लम्हे में इस वक्त को धकेले,
इन खामोशियो की आड़ में चलो लुक्का छुप्पी खेले।
दूर उन पहाड़ो में बसा लेते है आशियाना,
देकर कोई दिलासा, लेकर कोई बहन,
वादियों में सुलझाते है रिस्तो की बेलें,
उन वादियों में चलो लुक्का छुप्पी खेले।
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