chand ka anchal
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तनहा तनहा इन राहों पे कोई नहीं आया बुलाने मुझे,
उस काफिले से छूटा तो में भी था.
जब रूठे सब तो मेने मनाया मुझे नहीं मनाया किसी ने,
एक जरा सी बात पे ही सही, पर रूठा तो में भी था.
शीशा टुटा आवाज आई, सबने कई बाते बनाई,
मेरा हाल न पूछा किसी ने,
दिल से ही सही, पर टुटा तो में भी था.
उस काफिले से छूटा तो में भी था.
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