chand ka anchal
- 23 Posts
- 7 Comments
वो मीटी के घरोंदे बस मीठी के कहा थे ,
शरारतो से थे वो सहलाये हुए,
सपनो की नीव पे बनाये हुए,
वो घरोंदे गुजरा हुआ समां थे
वो बस मीठी के कहा थे
वो घरोंदे सपनो से सजाये थे
परियो की दुनिया से चुराए थे,
उन घरोंदों में दुनिया समां जाती थी,
टूटे भी तो आँखे बस मुस्कुराती थी,
वो घरोंदे भी तो छोटा सा एक जहाँ थेय,
वो बस मीठी के कहा थे.
तब उन घरोंदों में यदि थी छुपाई.
एक छोटी सी अनजान दुनिया थी बसै,
तब उन घरोंदों से मीठी की महक आती थी,
आज जा कर देखा
उन घरोंदों में बस मीठी ही बाकी थी
बस मीठी ही बाकी थी. . . . . .
written by RAHUL UNIYAL
Read Comments