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हसने का अब जमाना नहीं रहा।

chand ka anchal
chand ka anchal
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सुनते नहीं है लोग किसी की,

सुनाने को कोई फ़साना नहीं रहा,

ख़ामोशी मिलती है लोगो के चेहरे पे,

मुस्कुराहटों का अब जमाना नहीं रहा,

निकलो जो घर से, तन्हाई मिलती है,

किस से मिले मालूम नहीं,

कोई दोस्त अब पुराना नहीं रहा,

मुस्कुराहटों का अब जमाना नहीं रहा

कोई बात करता नहीं यहाँ,

लोगो पे अब बहाना नहीं रहा,

मुलाकाते नहीं होती अब यहाँ,

कोई यहाँ दिवाना नहीं रहा,

हस दो तो पागल कहते है,

हसने का अब जमाना नहीं रहा।

written by RAHUL UNIYAL

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